नई दिल्ली (एजेंसी)। सिक्किम के डोकाला में चीन की ओर से सडक़ बनाने को लेकर शुरू हुआ तनाव अब भी जारी है, लेकिन इस इलाके में दोनों देशों के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1967 में भी दोनों देशों की सेनाओं में झड़प हुई थी। इसकी पृष्ठभूमि वर्ष 1965 में 800 भेड़ और 59 याकों की कथित चोरी ने रखी।
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चीन और भारत के बीच गत 50 सालों के संवाद से जुड़े दस्तावेजों के मुताबिक चीन ने कई बार भारतीय सेना पर तिब्बती चरवाहों के मवेशियों की चोरी का आरोप लगाया। लेकिन 1967 में इसी मुद्दे ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी। चीन ने घटना से करीब दो साल पहले 1965 में आरोप लगाया कि भारत ने चार चरवाहों सहित 800 भेड़ों और 59 याकों को अपने कब्जे में ले लिया। इसकी खबर स्थानीय मीडिया में प्रकाशित होने पर 24 सितंबर 1965 को दिल्ली के शांतिपथ स्थित चीनी दूतावास के समक्ष कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया।
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चीनी विदेश मंत्रालय को यह प्रदर्शन नागवार गुजरी और उसने 26 सितंबर 1965 में बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के समक्ष औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई। चीन ने कहा कि कांग्रेस और अधिकारियों के उकसाने पर कुछ उग्र प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के गेट के सामने भेड़ों के झुंड के साथ प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि चीन भेड़ों और याक की वजह से तीसरा विश्व युद्ध चाहता है। इसके साथ ही आरोप लगाया कि यह घटना भारत सरकार की सहमति से हुई।
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चीन की इस आरोप पर एक अक्टूबर को विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया। मंत्रालय ने कहा, लापता चरवाहें मवेशियों के साथ अपनी मर्जी से आए हैं और भारत में शरण ली है। वे अपनी इच्छा के अनुरूप तिब्बत जाने को स्वतंत्र है। भारत सरकार पहले ही इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है।
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जहां तक भेड़ों और याक का मुद्दा है, तो दो संबंधित चरवाहे अपनी इच्छा से वापस लेकर जाएंगे। भारत ने उस आरोप को भी खारिज कर दिया, जिसमें सरकार की सहमति से प्रदर्शन करने के आरोप लगाए गए थे। नई दिल्ली ने कहा, प्रदर्शन त्वरित, शांतिपूर्ण और अच्छे भाव से किए गए थे।